बाबा साहब ने शिक्षा पाने के लिए आरक्षण को बनाया था ना कि सरकारी नौकरी पाने के लिए”
: डॉ.विनोद रांगी संस्थापक वी आर कंसलटेंसी ,बाली
ने आज बाबा साहब की जयंती के अवसर पर आरक्षण को लेकर मूलभूत बातों पर डाला प्रकाश

आपके अपने लोग आरक्षण की आड़ में अपनों के गले काट रहें। जातीय द्वेष पैदा रहे हैं। मैं आरक्षण के पक्ष में था जब शिक्षा देने वालों में नहीं था। आरक्षण समाज को अपाहिज बना रहा है। अभी इसमें बदलाव की जरूरत है।

कई उदाहरण है जिसमें आरक्षण की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है और आरक्षण की आड़ में लोग नशेड़ी भी बन रहे है। सीधा सीधा उदाहरण आपको देना चाहूंगा कि जब कई लोग पढ़ते थे तब बाबा साहब को बहुत मानते थे और छात्रवृति प्राप्त कर पढ़ाई की लेकिन अब सरकारी नौकरी लग गए है अब हर शाम को ठेके पर जाते है। यह हकीकत है वास्तविकता है। अगर आप बिना काबिल इंसान को अच्छे पदों पर केवल आरक्षण के माध्यम से बिठा देंगे तो सामाजिक,आर्थिक, शैक्षणिक रूप से ज्यादा काबिल होने वाले लोगो को बिना काबिल कम शैक्षणिक योग्यता रखने वाले समाज व सरकारी महकमों को गाइड करेंगे। नतीजा यह रहेगा कि जो लोग उनका अनुसरण करेंगे वे भी गलत कार्य करेंगे। इसीलिए बाबा साहब का आरक्षण केवल शिक्षा देने तक ही होना चाहिए। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सभी को समान रूप से अपनी काबिलियत दिखाने का अवसर देना चाहिए। और बाबा साहब आपको दंगे,जातिवाद,किसी को छेड़ना,जातिवाचक शब्दों से प्रताड़ित करना यह नहीं सिखाते हैं। बाबा साहब तो वो थे जिन्होंने पूरे सर्व समाज को एक माला में मोतियों की तरह पिरोया है। तथा उनके लिखे संविधान से आज पूरे देश का हर व्यक्ति अनुसरण कर रहा है। लेकिन कोई भी शिक्षित समाज का व्यक्ति आज यही चाह रहा है कि आरक्षण नौकरी पाने के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा पाने के लिए होना चाहिए। और बाबा साहब ने भी यही रखा था। लेकिन कुछ नेताओं ने, कुछ सामाजिक लोगों ने इसका स्वरूप ही बदल दिया। और अब हर जगह केवल आरक्षण पर ही भर्ती प्रक्रिया होती है। इससे अन्य जातियों में गहरा द्वेष पैदा हो रहा है और जिनको आरक्षण मिल रहा है उन्हे उग्र आंदोलन व जातिगत भेदभाव की दृष्टि से देखा जा रहा है। इसीलिए जो काबिल है उसी को नौकरी मिले। पर काबिल बनने के लिए जो शिक्षा मिल रही हैं वह शिक्षा आरक्षण की मदद से मिले यही व्यवस्था की थी बाबा साहब ने।